गुजरात में सर्वप्रथम हिन्दी माध्यम की शाला के प्रणेता एवं हिन्दी हाईस्कूल के स्थापक ऐसी महान विभूति आदरणीय श्री हरिगोपालजी भाटिया थे। व्यापारी होते हुए भी तन, मन और धन से संस्था की प्रगति में जीवन के अंतिम क्षण तक अविरत योगदान देते रहे। कुशाग्र बुद्धि, नेकदिल, पथ प्रदर्शक, प्रेरक बल, परोपकारिता, उदार, सहृदयी, प्रसन्नचित व्यक्तित्व एवं मिलनसार स्वभाव के धनी आदरणीय भाटियाजी वटवृक्ष की छाया प्रदान करते रहे।
आपके सिद्धान्त हमें कदम-कदम पर प्रेरणा देते रहेंगें। आपका मार्गदर्शन हमारे लिए आदर्श हैं। आपके चरणों में कोटि-कोटि वंदन तथा नमन।